एक सन्त होने के नाते हमनें, भारत के मा0 प्रधानमंत्री, रक्षा मंत्री, गृहमंत्री व भारत के सभी प्रदेशो के मुख्यमंत्रियों को सम्बोधित पत्र संख्या- 2022/1904 दिनांक 24.03.2022 में अपने निम्न विचार व्यक्त किये है:-
बड़े दुख के साथ कहना पड़ रहा है कि लोह पुरुष सरदार बल्लभ भाई पटेल के देश में हिजाब के ऊपर कर्नाटक के न्यायाधीशांे को जान से मारने की धमकी दी गई है, जिस पर शासन ने उन्हें Y-Z सुरक्षा प्रदान की है, यह कैसी विड़म्बना है ?
इस राष्ट्र के वीर सपूत, हमारे पूर्वजों की हिन्दू संस्कृति व हिन्दूस्तान में रहने वाले हिन्दू, क्या इतने कमजोर है कि दूसरे सम्प्रदाय के लोग अपने धर्म की बात को मनवाने के लिए भारत के संविधान के अनुसार दिये गये निर्णय को भी ललकारते है, यें लोग जिहाद का फतवा पढ़कर देशवासियों को क्या संदेश देना चाहते है ?
‘कश्मीर फाईल्स’ फिल्म के डायरेक्टर श्री विवेक अग्निहोत्री को भी धमकी दी गई । इस प्रकार की धमकियाँ हमारे देश के लिए कलंक है। कश्मीरी पंडितो पर हुए अत्याचार को लगभग 32 वर्ष हो चुके है । आने वाला 10 वर्ष का बच्चा हो या 30 वर्ष का नौजवान, उसका खून खोलना, स्वाभाविक है और राष्ट्र धर्म उसका बदला लेना सिखाता है ।
अपने भाई कश्मीरी पंडितों को अपने ही देश में इतने बड़े अत्याचार सहने पड़े, जिसमें स्त्रियाँ का रेप कर उन्हें आरे से जिन्दा चीर दिया गया हो । इससे पूर्व इस मातृ भूमि पर कश्मीर की वादियों के जो पहले जज थे, उनको गोली से उड़ा दिया गया और उनकी पत्नी का भी अपहरण किया गया, जिसका आज तक कोई पता नही चला । देश के बुद्धिजीवी, जो कवि और विचारक थे तथा तिलक लगाते थे, उनके तिलक लगाने वाले माथे पर कील ठोकी गई, जो आतंक का नृशंस रुप है । देश के नवयुवकों को और वयोवृद्ध नागरिकों से इस पत्र के माध्यम से हम पूछना चाहते है कि यह कट्टरता व क्रूरता इस देश में हिन्दूओं को सहनीय होनी चाहिए या असहनीय ?
भारत की भूमि के किसी भी कोने में जो क्रुरता बंगाल में हो रही है और कश्मीर व पंजाब मंे हो चुकी है, इस क्रूरता के प्रतिशोध में नवयुवक न बुद्धिजीवी को हथियार उठाने आवश्यक है अथवा नही, हम इसका उत्तर चाहते है ?
हमारा शासन, प्रशासन, मंत्री, राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, आई.ए.एस., आई.पी.एस., राजनैतिक दल यह सुनिश्चित करें कि राष्ट्रहित व राष्ट्र की जनता के हित में देश के किसी भी कोने में कश्मीर व पंजाब में जो हुआ और बंगाल में जो हो रहा है तथा हमारी सीमाओं से लगे, बंगलादेश, पाकिस्तान व अफगानिस्तान में हिन्दुओं पर जो अत्याचार हो रहे है, उसका उत्तरदायित्व किसका है ? यह पत्र लिखते समय अपने विचारों को प्रेस के माध्यम से भी हमने जनता को प्रेषित किया है ।
प्रेस के माध्यम से यह भी ज्ञात हुआ है कि पाकिस्तान के सिन्ध प्रान्त में एक हिन्दू लड़की को जबरन इस्लाम धर्म स्वीकार कराकर शादी करने का दबाव डाला गया और उसके इंकार करने पर उसे सरें आम गोली मार दी गई । क्या इस घटना की हिन्दूस्तान के मुसलमानों द्वारा निन्दा की गई ? यदि नही की गई तो क्यों ?
हम, भारत की जनता, बुद्धिजीवियों व राजनेतिज्ञो को बताना चाहते है कि कश्मीर की वादियों में आदि जगद्गुरु शंकराचार्य का टीला है, जो आज से लगभग दो हजार वर्ष पूर्व से है, उस टीले से पूरे श्रीनगर के दर्शन होते है । आजाद कश्मीर में प्रतिष्ठित शारदा पीठ है व अफगानिस्तान में प्रतिष्ठित हिंगराज देवी मन्दिर, आज भी है ।
हम, प्रधानमंत्री, गृहमंत्री, रक्षा मंत्री व राजनैतिक पार्टियों से पूछना चाहते है कि उक्त स्थानों पर वास्तविक अधिकार किसका है ? जबकि इस्लाम धर्म को मानने वाला उस समय कोई इंसान या पक्षी भी नही था, तो यह घोर अत्याचार क्यों हुआ ? जबकि यह पवित्र भूमि हिन्दू संस्कृति से ओत-प्रोत थी । इस अत्याचार का दण्ड आजतक निर्धारित नही किया गया, जो किया जाना चाहिए था । देशद्रोही फारुख अब्दुल्ला, महबूबा मुफ्ती, उमर अब्दुल्ला, यासीन मलीक, कश्मीर के रहने वाले गद्दार जो कि इस अत्याचार में शामिल थे, के विरुद्ध देशद्रोह का मुकदमा दायर होना आवश्यक है । य ही वर्तमान समय
की आवश्यकता भी है । इस देश के किसी भी देश या प्रदेश के किसी भी शहर अथवा स्थान पर हिन्दू सभ्यता व संस्कृति पर यदि कोई कुठाराघात हुआ जैसे कि पंजाब, कश्मीर व बंगाल में घटनायें हो रही है, उनकी पुनरावृत्ति होने पर उस प्रदेश की सरकार, प्रदेश के निवासी नौजवान व केन्द्रीय सरकार पूर्ण रुपेण उत्तरदायी होगी ।
हिन्दू सभ्यता व हिन्दू जाति की किसी भी माता, बहन और नौजवान पर यदि किसी भी प्रकार की खरोंच आती है तो उस स्थिति में हिन्दू जनता द्वारा उसी व्यक्ति को सत्ता देनी चाहिए, जिसकी बाजुओं में व मस्तिष्क पटल पर हिन्दू धर्म और उसकी मान्यताओं की पूर्ण रुपेण रक्षा करने की सामथ्र्य हो ।
जब पुलिस प्रशासन, किसी अपराधी के विरुद्ध कोई कार्यवाही करती है तो मानव अधिकार आयोग, अपना मानवता का चेहरा दिखाने का ढोंग करने लगता है, परन्तु जब निर्दोष लोगों पर एक धर्म विशेष की भीड़, हमला कर उनका घर जला देती है और उन्हें घर से बेघर कर देती है तो उस समय मानव अधिकार आयोग चुप्पी साध देता है तो ऐसे मानव अधिकार आयोग की भारतवर्ष में कोई आवश्यकता नही है, जो केवल अपराधियों पर कार्यवाही करने वालों के विरुद्ध आवाज उठाता हो ।
हम, इस प्रेस कोन्फ्रेन्स के माध्यम से सभी राष्ट्रभक्तों को आहवाह्न करते है कि हमारा राष्ट्र सचेत हो और कश्मीर, पंजाब व बंगाल में राष्ट्रभक्त हिन्दूओं के रक्त की एक-2 बूँद सुरक्षित हो । इस प्रेस कोन्फ्रेन्स के द्वारा एक चिन्गारी का माध्यम बनाकर राष्ट्र में इस यज्ञ में अग्नि रुपी ज्वाला का आहवाह्न करेंगे ।
एक सन्त के उक्त प्रासंगिक विचार ।