लगभग दो दशक से इस देश के नवयुवकों के आरचण पर पाश्चात्य शिक्षा व सभ्यता का जो प्रभाव पड़ा है उसी के कारण भारतीय संस्कृति, संस्कार व गुरुकुल शिक्षा के अभाव से अनैतिक घटनायें बड़ी है। यह भारतवर्ष के जन-मानस पर अभिषाप है, जिसका प्रभाव ऐसी घटनाओं का द्योतक है।
आधुनिक शिक्षा से राष्ट्र के नवयुवकों के आचरण में मानवीय संवेदनाओं का ह्रास होने के कारण इस राष्ट्र के जन-मानस में मानव सभ्यता, पशु प्रवृत्ति में परिवर्तित हो गयी है। इसका एक उदाहरण- प्रत्येक परिवार, गांव, नगर व महानगरों में जो ताण्डव है, इससे बचने का केवल एक ही उपाय है, कि हमें पूर्व की संस्कृति व संस्कारों का पालन करते हुए इस प्रवृति को नष्ट करना चाहिए।
ऐसे कुकृत्य के लिए चैराहों पर खड़ा करके सामुहिक रुप से फांसी की सजा ही समय की मांग है।